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प्रकृति प्रेम ऐसा कि घर बनवाया तो हरियाली के लिए न सिर्फ 50 फीसद जगह छोड़ी बल्कि घर के लिए बेमतलब हो चुकी चीजों से बगिया को सजाया

वेस्ट को इन्वेस्ट कर नेचरमैन बने महेंद्र सिंह

नवनीत गुप्ता उत्तर प्रदेश न्यूज21ऑल इंडिया प्रेस एसोशियेशन (AIPA)
औरैया:महेंद्र पेशे से फोटोग्राफर हैं तो रचनात्मक रग-रग में रची-बसी है। प्रकृति प्रेम ऐसा कि घर बनवाया तो हरियाली के लिए न सिर्फ 50 फीसद जगह छोड़ी बल्कि घर के लिए बेमतलब हो चुकी चीजों से बगिया को सजाया भी। कूलर की निकली खस से गौरैया का बसेरा बनाया तो अब यहा सुबह से शाम तक चिड़ियों की चहचहाहट सुनाई देती है। वॉश बेसिन का पानी सीधे बगिया में जाता है। बारिश के पानी के लिए टैंक बना है।घर से निकले कबाड़ का कैसे प्रयोग करें, यह उनसे सीखने लायक है। महेंद्र बताते है कि वह घर की कोई भी वस्तु फेंकते नहीं। उन्होंने घर में बगिया बनाई तो घर की हर अनुपयोगी चीज ने बगिया की खूबसूरती बढ़ाई। पुराने हेलमेट को पेड़ पर टाग कर उसमें बेल लगा दी। पेंट की बाल्टियों के गमले देखते ही बनते हैं। टायरों को तीन भाग में काटकर दीवार पर लटकाने के बाद उसमें बेल लगाई। इसी तरह घर की कोई भी ऐसी अनुपयोगी चीज नहीं है जो उन्होंने बगिया में प्रयोग न की हो। महेंद्र बताते हैं कि घर के लोग भी खूब सहयोग करते हैं। कस्बे के तमाम लोग उनकी बगिया देखने आते हैं और अपने घर पर भी अनुपयोगी वस्तुओं का प्रयोग करने लगे है। कई लोगों ने कूलर की पुरानी खस से पक्षियों के लिए घरों में घोसले बनाकर टागे हैं।

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