विनीत अबस्थउत्तर प्रदेश न्यूज़21/कन्नौज
एंकर --यूपी के कन्नौज से एक सनसनी खेज मामला सामने आया ही जिसे देख कर आप दंग रह जाएंगे मामला सदर कोतवाली क्षेत्र के जेवां-अटारा गांव का है जहां के एक किसान महेश बाइक की टक्कर लगने बुरी तरह घायल हो गए। ऐसे में ग्रामीणों की मदद से उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया। लेकिन यहां घायल किसान का इलाज करने की बजाय डाक्टरों ने उसे मेडिकल कालेज तिर्वा के लिए रेफर कर दिया एम्बुलेंस के हॉस्पिटल परिसर से निकलते ही घायल किसान ने दम तोड़ दिया ।
वीओ--आपको बता दे एम्बुलेंस चालक ने मृतक को जिला अस्पताल की मर्चरी के बाहर लाकर रोड पर ही छोड़ दिया और एम्बुलेंस लेकर चला गया। न तो मृतक की डिप हटाई और न ही बोतल निकाली। धूप में पड़े पिता के शव के पास काफी देर तक बेटी अकेली बिलखती रही, लेकिन किसी स्वास्थ्य कर्मी ने कोई सुधि नहीं ली। करीब पौन घण्टे बाद मर्चरी पहुंचे ग्रामीणों की मदद से शव को उठाकर टीन शेड के नीचे रखा गया। शव रखने से पहले खुद ही परिजन ने झाड़ू लगाकर सफाई की और जब स्ट्रेक्चर नहीं मिला तो बेटी ने पिता का शव जमीन में रखने से बचाने के लिए अपना दुपट्टा उतार कर बिछा दिया। यह सब देखने के बाद भी जिम्मेदारों का दिल नहीं पसीजा। मामले को लेकर जब सीएमएस यूसी चतुर्वेदी से बात की गई तो उन्होंने किसी भी प्रकार की लापरवाही मानने से इनकार करते हुए एम्बुलेंस चालक का ही बचाव करने लग गए। उन्होंने बताया कि मर्चरी के बाहर शव रखकर एम्बुलेंस चालक मर्चरी की चाबी लेने चला गया था। लेकिन सारा मैटर जानने के बाद तमाम सवाल उठ खड़े होते हैं, जिनका जवाब शायद किसी अधिकारी के पास नहीं होगा। सिस्टम इतना लचर और संवेदनहीन हो चुका है कि शिकायत करने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं होती। आखिर ऐसे संवेदनहीन अफसरों की शिकायत किससे की जाए, यह सवाल सिर्फ सवाल ही बनकर रहे जाता है हर बार।
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