देवकली मंदिर में कमलेश पाठक के भाई ललित पाठक महंत थे। डबल मर्डर के बाद प्रशासन ने मंदिर से उनका कब्जा हटा दिया

उत्तर प्रदेश न्यूज21संवाददाता
औरैया:सपा एमएलसी कमलेश पाठक की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। देवकली मंदिर में कमलेश पाठक के भाई ललित पाठक महंत थे। डबल मर्डर के बाद प्रशासन ने मंदिर से उनका कब्जा हटा दिया। मंदिर के लिए ट्रस्ट बनाने की तैयारी शुरू की गई है। मंदिर के आसपास की सरकारी जमीन की नापजोख शुरू कर दी गई है।गुरुवार को जिलािधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने चौरीचौरा महोत्सव में शिरकत करने के बाद देवकली मंदिर के पास बने शहीद स्मारक पहुंचकर शहीदों को नमन किया। इसके बाद देवकली मंदिर पहुंचकर जल चढ़ाकर भोलेनाथ का आशीर्वाद लिया। मंदिर के पुजारियों से बात की। मंदिर परिसर में एक कमरे में महंत ललित कुमार पाठक का ताला लगा था।
डीएम ने एडीएम रेखा एस चौहान को ताला तोड़ कर कब्जा मुक्त करने के साथ मंदिर की कमान ट्रस्ट के हाथों सौंपने के निर्देश दिए। 
ट्रस्ट में प्रमुख अधिकारियों, समाजसेवियों को शामिल किया जाएगा।
डीएम सुनील कुमार वर्मा ने कहा कि मंदिर के लिए ट्रस्ट बनाया जाएगा और पास में ही शहीद स्मारक का सौंदर्यीकरण किया जाएगा। मंदिर के आसपास सरकारी जमीन की नापजोख की जाएगी। अवैध तरह कब्जा व एकाधिकार किसी का नहीं रहेगा।
नहीं रह पाएगा अवैध कब्जा
अपर जिलाधिकारी रेखा एस चौहान ने कहा कि ट्रस्ट मंदिर का संचालन करेगा। इसे साल में होने वाले मेले और पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किया जाएगा। कोई भी यहां अवैध रुप से कब्जा नहीं कर पाएगा।
पर्यटन के लिए मुलायम सरकार ने की थी पहल
मुख्यमंत्री रहते मुलायम सिंह यादव ने देवकली मंदिर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए पहल की थी। पास ही शहीद स्मारक और पर्यटक गृह का निर्माण कराया गया था।
मंदिर का महत्व
इतिहासकारों का कहना है कि 12 वीं शताब्दी में कन्नौज के राजा जयचंद्र की बहन देवकला का विवाह यमुना पार की जगम्मनपुर स्टेट के राजा विशोख देव के साथ हुआ था। देवकला जब कन्नौज से अपनी ससुराल जगम्मनपुर जाती थीं तब यमुना के पास उनका पड़ाव होता था। यहीं उनकी पूजा अर्चना के लिए राजा विशोख देव ने मंदिर की स्थापना की थी। बताते हैं यहां पहले से स्वयं से प्रकट हुआ शिवलिंग था। मुगल शासन में मंदिर को क्षतिग्रस्त किया गया था। 18वीं शताब्दी में यह स्थान मराठा के अधीन हो गया। एक मराठा सरदार ने दुर्ग का निर्माण कराया। यहां के तहखाने रहस्य से कम नहीं हैं। बताते हैं, तहखाने में कुछ बक्से जंजीर से बंधे लटके हैं। इनमें प्राचीन सैनिकों की वर्दी आदि है। कभी क्रांतिकारी भी इस मंदिर में शरण लेते थे। बाद में बीहड़ के बागियों का मंदिर पर कब्जा रहा। सपा एमएलसी कमलेश पाठक के पिता रामऔतार वर्षों तक मंदिर में महंत रहे।

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