उत्तरप्रदेश न्यूज21Updated: Thu, 28 May 2020 11:03 AM
राजस्थान और मध्य प्रदेश में आतंक मचाने के बाद टिड्डियों का दल एक बार फिर उत्तर प्रदेश के झांसी पहुंच गया और यह अब महाराष्ट्र के रामटेक शहर की ओर भी बढ़ सकता है। यह पिछले 26 साल में टिड्डी दल का सबसे बुरा हमला है। सामान्य तौर पर टिड्डी दल के प्रकोप से अछूता रहने वाले पंजाब में भी इस बार इनके हमले की आशंका है। फरीदाबाद स्थित टिड्डी चेतावनी संगठन (एलडब्ल्यूओ) के एक अधिकारी ने कहा कि यह कोई नयी समस्या नहीं है और लंबे समय से हम इसका सामना कर रहे हैं। इस साल टिड्डी दल का प्रकोप 26 साल में सबसे भयावह है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार राजस्थान के 21 जिले, मध्य प्रदेश के 18 जिले, गुजरात के दो जिले और पंजाब के एक जिले में अब तक टिड्डी दल पर काबू पाने के लिए कदम उठाये गये हैं। राजस्थान के कृषि विभाग ने जयपुर जिले में टिड्डियों को नियंत्रित करने के लिये कीटनाशक के छिड़काव के लिये एक ड्रोन की मदद ली है।
रेगिस्तानी टिड्डियां जैसे-जैसे आगे बढ़ रही हैं, किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें भी गहराती जा रही हैं। जानकारों की मानें तो एक छोटा टिड्डी दल दिनभर में दस हाथियों के बराबर खाना खा जाता है। गरीबी और खाद्य संकट से जूझ रहे अफ्रीकी देशों में पहले ही इनका आतंक देखा जा चुका है।
तेज रफ्तार
-15 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ती हैं टिड्डियां
-150 किलोमीटर तक की दूरी नापने में सक्षम एक दिन में
-8 करोड़ के झुंड में टिड्डियां फसलों पर कर सकती हैं हमला
-2 ग्राम फसल खाने की क्षमता रखती है प्रत्येक टिड्डी
-1 वर्ग किलोमीटर बड़े दल में चार करोड़ टिड्डियां मौजूद
-35 हजार लोग, 20 ऊंट, 10 हाथी के बराबर फसल चट कर सकता है इतना बड़ा दल एक दिन में
किस पर नजर
-फल, सब्जी, अनाज, फूल, पत्ती, बीज, पेड़ की छाल, टहनियां खाती हैं
-हजारों की संख्या में टिड्डियों के लदने से कई छोटे पौधे नष्ट भी हो जाते हैं
-भारत में गन्ने, आम, सरसों, अरंडी, सौंफ, जीरा, कपास, आलू, गेहूं, रतनजोत जैसी फसलों को ज्यादा नुकसान की आशंका
-मई 2018 में मेकुनु नाम का चक्रवाती तूफान दुनिया के सबसे बड़े रेत के रेगिस्तान ‘रुब अल-खाली’ से गुजरा
-रेत के टीलों के बीच अल्पकालिक झीलें

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