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बच्चों को शिक्षा के साथ श्रेष्ठ आचरण की शिक्षा भी देनी चाहिए-आचार्य रामजी

बच्चों को शिक्षा के साथ श्रेष्ठ आचरण की शिक्षा भी देनी चाहिए-आचार्य रामजी

*सहार,औरैया।* कस्बा सहार में बम्बा के पास श्रीमद भागवत महापुराण की कथा का आयोजन किया जा रहा है कथा के तीसरे दिन कथा व्यास रामजी द्विवेदी ने ध्रुव चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि राजा उत्तानपाद के पुत्र ध्रुव ने अपने जीवन में भगवान नारायण की घोर तपस्या करके उनको प्राप्त किया था। भगवान नारायण ने ध्रुव की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें अक्षय पद प्रदान किया।
अभिभावकों को चाहिए कि अपने जीवन काल में अपने पुत्र और पुत्री को श्रेष्ठ आचरण की शिक्षा देनी चाहिए, जिससे कि उनका व्यक्तित्व उत्तम हो सके।कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि बालक ध्रुव अपनी सौतेली माता के व्यवहार से दुखी होकर अपनी जननी के मार्गदर्शन में भगवान नारायण की शरण में चले गये। जहां पर उन्होंने छह माह तक घोर तपस्या की और बालक ध्रुव की तपस्या से प्रसन्न होकर नारायण ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए एवं बालक को बहुत स्नेह भाव के साथ अपनी भक्ति प्रदान की और उनको अक्षय पद प्रदान किया। माता-पिता को चाहिए कि अपने बालक बालिकाओं को ध्रुव एवं प्रहलाद की कथाओं से संस्कारित करें। उनको मूल्यों और संस्कारों की शिक्षा देने का कर्तव्य स्वयं माता-पिता का है, और इस बात का भली-भांति पालन करें।आयोजक आशीष अवस्थी, ओमप्रकाश अवस्थी, शैलेष अवस्थी, योगेश तिवारी पूर्व प्रधान आदि लोग उपस्थिति रहे। कथा व्यास का सवर्ण समाज सेवा संस्थान प्रदेश अध्यक्ष विकास त्रिपाठी, पंकज तिवारी, सुमन चतुर्वेदी, विजय चतुर्वेदी, महेन्द्र प्रताप सिंह, ब्रह्म स्वरूप तिवारी, कल्लू,वेदराम आदि लोगों ने पगड़ी और माल्यार्पण कर स्वागत किया।

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