■ *छात्र-छात्राएं मन लगाकर पढें ताकि उनका भविष्य उज्जवल हो सके और वे समाज व देश की सेवा कर सकें-- सुनील दत्त राजपूत एसआरजी मुख्य अतिथि*
घनश्याम सिंह
औरैया
जनपद औरैया के कस्बा याकूबपुर में संचालित आकांक्षा जूनियर हाईस्कूल में धूमधाम से गीता जयंती मनाई गई इस मौके पर छात्र-छात्राओं ने गीता ग्रंथ की शिक्षाओं को जीवन में उतारने का संकल्प लिया गीता जयंती के अवसर पर आकांक्षा जूनियर हाई स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में भगवान श्रीकृष्ण के चित्र व गीता ग्रंथ पर पुष्पांजलि प्रकट कर मुख्य अतिथि एसआरजी सुनील दत्त राजपूत ए आर पी विश्वनाथ यादव तथा विद्यालय प्रबंधक डॉ आर एस यादव ने संयुक्त रूप से उद्घाटन किया इस मौके पर अपने संबोधन में एसआरजी सुनील दत्त राजपूत ने कहा कि गीता जयंती के अवसर पर छात्र छात्राएं मन लगाकर पढ़ने का संकल्प लें ताकि वे अपना भविष्य उज्जवल कर सके वह समाज व देश की सेवा कर सकें, उन्होंने छात्रों को चारित्रिक रूप से मजबूत होने की सीख देते हुए विद्यालय की कार्यप्रणाली की सराहना की इस मौके पर एआरपी विश्वनाथ यादव वी एन सर ने अपने संबोधन में कहा कि गीता हमें वास्तविक जीवन जीने की शिक्षा देती है उन्होंने विद्यालय में चलाए जा रहे शैक्षिक व आध्यात्मिक गतिविधियों की सराहना करते हुए विभाग द्वारा चलाए जा रहे शैक्षिक कार्यक्रमों में विद्यालय को आमंत्रित किए जाने का आश्वासन दिया,कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विद्यालय प्रबंधक डॉ आर यस यादव ने कहा कि पवित्र ग्रंथ गीता मानव कल्याण की शिक्षाओं से परिपूर्ण है उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने गीता की शिक्षाओं को पहले अपने जीवन में उतारा बाद में संसार के लोगों को गीता का ज्ञान दिया उन्होंने कहा कि पवित्र ग्रंथ व अवतार सबको समान शिक्षा देते हैं उन्होंने प्रत्येक अभिभावक को घर में गीता,बाइबिल, कुरान आदि पवित्र पुस्तक में रखने व उनका अध्ययन करने का आवाहन किया, इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार व त्रिभाषी साहित्यकार घनश्याम सिंह ने कहा कि "पवित्र गीता" हमें कदम-कदम पर मार्गदर्शन देती है, उन्होंने गीता का महत्व बताते हुए कहा कि "*गीता सुगीता कर्तव्या किमण्यै:..अर्थात गीता सुगीता करने योग्य है,उन्होंने कहा कि गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कर्म से फल तथा इस लोक और उस लोक के उत्थान के लिए मार्गदर्शन दिया है उन्होंने कहा गीता ईश्वरीय व परम पावन पुस्तक है इसका प्रत्येक शब्द बोधगम्य है, उन्होंने विद्यालय के छात्र-छात्राओं को प्रतिदिन अभिभावकों व गुरुजनों का सम्मान करने की सीख देते हुए बताया कि भगवान राम हम प्रतिदिन उठकर अपने परिजनों तथा गुरुजनों का अभिवादन करते थे जिसका उल्लेख रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास ने करते हुए कहा है कि "प्रात काल उठ के रघुनाथा मात पिता गुरु नावे माथा"
उन्होंने शिक्षकों को ईश्वर का दूसरा स्वरूप बताते हुए अपने अंग्रेजी की काव्य रचना दोराई तथा विद्यालय के के प्रबंधक तथा शिक्षकों का विद्यालय में आध्यात्मिक व नैतिक कार्यक्रम चलाए जाने की सराहना की,इस मौके पर विद्यालय की शिक्षिका मार्था,निशा,शिप्रा,लकी,रानी,पिंकी,नीतू,खुशबू,तथा शिक्षक मिथुन,प्रदीप,उपप्रबंधक आशीष यादव आदि ने विशेष सहयोग किया।।
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