*होली आई है*
मिलो प्रेम से,
सब नर नारी
रंग बरसाती,
मन हरषाती,
*होली आई है!*
लेकर रंग और पिचकारी,
मारो भरके समझ दुधारी।।
होली का त्यौहार निराला,
लिए हरा, पीला,रंग काला।।
उड़े अबीर चले पुरवाई,
सबने अंधाधुंध मचाई।।
नहीं किसी से,
दगा चोर हो!
प्रेम के रंग में,
सराबोर हो,
होली आई है..
-- *घनश्याम सिंह*
वरिष्ठ पत्रकार व त्रिभाषी रचयिता
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