*राजनीति*
राजनीति पैनी छुरी,
मति लगाओ तन।
छूते ही कट जाओगे,
मैला होगा मन ।।
झूठ बोलना पाप नहीं,
राजनीति के दल-दल में।
कोई अपना बाप नहीं,
जो चूके छल - बल में।।
गरज पड़े पैरों पड़े,
राजनीति के लोग ।
गरज कढ़े पैरों पड़े,
जाने ना ये लोग।।
--*घनश्याम सिंह त्रिभाषी साहित्यकार*
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