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अच्छी खबर- फाइजर की ​5 करोड़ से ज्यादा वेक्सिनेशन डोज भारत भेजे जाने के लिए तैयार

उत्तर प्रदेश न्यूज21
नई दिल्ली: एक तरफ जहां देश में कोरोना वैक्सीन पर जमकर राजनीति हो रही है और विपक्ष लगतार केंद्र सरकर पर वैक्सीन की कमी को लेकर आरोप लगा रहा है. इस बीच अच्छी खबर ये है कि फाइजर की ​5 करोड़ से ज्यादा डोज भारत भेजे जाने के लिए तैयार हैं. वहीं वैक्सीन के प्रभाव को लेकर 'आंशिक क्षतिपूर्ति' पर भी बातचीत चल रही है. फाइजर वैक्सीन के रिएक्शन को लेकर भारत की तरफ से पूर्णत: छूट नहीं दी जाएगी.सूत्रों के मुताबिक, वैक्सीन का रिएक्शन मुआवजे या क्षतिपूर्ति के तहत आएगा, लेकिन अगर इसके रिएक्शन से किसी व्यक्ति की मौत होती है या फिर उसे लकवे जैसी गंभीर बीमारी हो जाती है, तो इसमें छूट नहीं मिलेगी और इसकी जवाबदेही तय ​की जाएगी.

वैक्सीन पर फाइजर से बातचीत जारी है, उम्मीद है कि इस महीने के अंत तक कोई निष्कर्ष निकलेगा.यहां बता दें कि फाइजर बायोएनटेक कोविड-19 वैक्सीन एक एम आरएनए वैक्सीन है, जिससे कोशिकाएं स्पाइक प्रोटीन जेनरेट करती हैं. यही स्पाइक प्रोटीन नोवेल कोरोना वायरस की सतह पर भी पाया जाता है. कोशिकाएं जब स्पाइक प्रोटीन जेनरेट करती हैं, तो इससे इम्यून रिस्पॉन्स बनता है. एम आरएनए वैक्सीन में किसी भी तरह के कमजोर या डेड वायरस के कण नहीं होते. हालांकि दूसरी वैक्सीन की तरह इससे भी एलर्जिक रिएक्शन हो सकते हैं. इससे सांस लेने में तकलीफ, धड़कनों के तेज होने, चक्कर आने और कमजोरी जैसी दिक्कतें आ सकती हैं.फाइजर को लेकर दूसरा बड़ा सवाल लॉजिस्टिक्स से जुड़ा है क्योंकि, इसे ठंडे तापमान की जरूरत होती है. टेम्परेचर कंट्रोल्ड वैक्सीन के लिए भारत में एक लॉजिस्टिक्स कंट्रोल इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है. आज विकसित देशों में वैक्सीन की तेजी से आपूर्ति हो रही है और इन देशों को इन्हें सुरक्षित रखने की जरूरत नहीं. जरूरत से ज्यादा वैक्सीन होने की वजह से भारत को ये वैक्सीन दी जा रही है.यहां बता दें कि अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर इन सभी मुद्दों पर चर्चा कर चुके हैं. विदेश मंत्री का ये दौरा 24 मई से 28 मई के बीच हुआ था, जिसका मुख्य बिंदु भारत और अमेरिका के बीच कोविड से जुड़े सहयोग को बढ़ावा देना ही था.

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