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दिनोंदिन सोशल मीडिया पर बढ़ रही अश्लीलता विश्व को विनाश की ओर ले जा रही है--घनश्याम सिंह

उत्तर प्रदेश न्यूज21
■नैतिकता को निगल रहा "अश्लीलता का कोरोना" वायरस चिंता का विषय
■अश्लीलता फैलाने वाले तथाकथित समाचार पत्र, पत्रिका,पोर्टल,वेबसाइटों  पर तत्काल लगाम लगाए जाने की नितांत आवश्यकता
अत्यंत खेद का विषय है कि आज कल सोशल मीडिया पर अश्लीलता का भारी कुप्रभाव देखने को मिल रहा है,आज सोशल मीडिया का कोई भी कोना छूटा नहीं है जहां पर सरेआम अश्लीलता ना प्रदर्शित की जा रही हो सच तो यह है कि जो "सोशल मीडिया" सोशल मीडियम के लिए स्थापित की गई थी वह अपने उद्देश्य से बिल्कुल भटक गई है, इसके लिए कौन दोषी है ? हमें और हमारे समाज को अश्लीलता के माध्यम से विनाश के गर्त में धकेलने के लिए सोशल मीडिया पर सरेआम आज अश्लील तस्वीरें, अश्लील नृत्य, असली फिल्में, अश्लील लेख परोसे जा रहे हैं, कहने में बहुत ही शर्म और संकोच लगती है कि जिस सोशल मीडिया को समाज के विकास के लिए स्थापित किया गया,आज उसी सोशल मीडिया को अश्लीलता का समुद्र बना दिया गया है, सोशल मीडिया के संबंधित स्रोत इस पर आंख मूंदकर चुप्पी साधे हुए हैं दूसरी ओर इस पर निगरानी रखने वाले विभाग भी आंखों पर पट्टी बांधे हैं, आज सोशल मीडिया का कोई भी कोना अश्लीलता से छूटा नहीं रहा है, अश्लीलता और फूहड़ता दिनोदिन सोशल मीडिया पर हावी होती जा रही है, सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर हमारी सरकार और इसके नियंत्रक कब चिंता प्रकट करेंगे ??,लगता है उन्हें इस बात की कोई फिक्र नहीं है कि सोशल मीडिया पर परोसी जा रही सरेआम अश्लीलता हमारे समाज को विनाश की ओर ले जा रही है, सोशल मीडिया से अगर अश्लीलता को  दूर ना किया गया तो एक ना एक दिन हमें संपूर्ण सोशल मीडिया का बहिष्कार करना पड़ेगा,  सोशल मीडिया पर बढ़ रही अश्लीलता।कोरोना वायरस से कम नहीं आंकना चाहिए,
सोशल मीडिया के नियंत्रक  अपनी आंखों पर बंधी पट्टी कब हटाएंगे, दूसरी ओर बड़ी आश्चर्यजनक बात यह है की सूचना एवं जनसंपर्क विभाग भी इसी ओर नहीं कर रहा है कई समाचार पत्रों, पोर्टल,वेबसाइटों पर अश्लीलता भरे प्रचार किए जा रहे हैं, विगत दिनों लखनऊ से प्रकाशित एक हिंदी की पत्रिका की लिंक पर अश्लील सामग्री देखी तो बड़ा ही कष्ट हुआ, कहां जा रहे हैं हमारे समाचार पत्र, समाचार पत्र संबंधी वेबसाइटें तथा अन्य व्यापारिक संस्थानों की वेबसाइटें, यह तो हुई सोशल मीडिया पर अश्लीलता पर परोसे जाने की बात, हमारे बड़े समाचार पत्र भी धड़ल्ले से कामुक औषधियों के प्रचार छाप रहे हैं क्या सूचना एवं जनसंपर्क विभाग इसे नहीं देखता है समाचार पत्रों में अक्सर कम वस्त्रधारी बालाओं की फोटो छापी जाती हैं, क्या यह अश्लीलता को बढ़ावा नहीं दे रहे हैं, हम और हमारा समाज कहां जाएगा इसके अलावा अन्य ऐसी तमाम व्यापारिक वेबसाइटें धड़ल्ले से अश्लीलता परोस रहीं हैं, जिससे हमारे युवाओं का भविष्य चौपट हो रहा है, आज सोशल मीडिया पर इंटरनेशनल वेबसाइटें और इंटर नेशनल नंबरों से ऐसे नेटवर्क संचालित किए जा रहे हैं जो देश के जवानों, नौजवानों को अपने चुंगल में फंसाते हैं और उनका सामाजिक,आर्थिक,नैतिक शोषण भी करते हैं, सोशल मीडिया में अश्लीलता का एक नया दौर भी निकल पड़ा है जिसे फूहड़तम कहा जाए तो अतिशयोक्ति ना होगा यदि आप नैतिकता में जरा भी विश्वास रखते हैं तो आप ऐसे फूहड़ नृत्य को कदापि पसंद नहीं करेंगे, आजकल एक से बढ़कर एक चुनौती देने वाले फूहड़ नृत्य के नाम पर "अश्लील नृत्य" देखने को मिलेंगे आप  सोशल मीडिया पर आज के दौर के इस "नंगनाच" देख कर आपका दिल भी दहल जाता होगा, पर समाज के ठेकेदारों सोशल मीडिया के जिम्मेदारों को यह कदापि दिखाई नहीं पड़ता है,सोशल मीडिया पर आज के दौर में परोसे जाने वाले फ़ूहड़ नृत्य समाज के युवाओं जवानों नौजवानों को क्या सीख दे रहे हैं, कहते नहीं बनता है, हम समाज के लोगों से पूंछना चाहते हैं फूहड़ नृत्य करा कर अपने हाथों से अपने बच्चों का मान मर्दन क्यों कर रहे हैं,यह कौन सी सभ्यता है?, यह कौन सा नृत्य है? हमें तो यह वेश्यावृत्ति नजर आती है, ऐसा नृत्य जो किसी भी दृष्टि से नृत्य नहीं लगता है, वह समाज में सरेआम परोसा जाता है, कैसे हैं वह इन फूहड़ नृत्यों के कार्यक्रम संयोजक ? जो ऐसे फूहड़ नृत्य का आयोजन कर समाज को विकृत संदेश देते हैं, इतना ही नहीं खास बात यह कि इन फूहड़ कार्यक्रमों में भारी भीड़ जुटती है और लोग ऐसे फूहड़ नृत्य को देखकर कथित नृत्यांगनाओं के ऊपर नोटों की बारिश करते हैं, कई बार देखने को मिलता है जिनके बाल सफेद हो चुके होते हैं वह भी नृत्यांगनाओं के ऊपर नोटों की बारिश किया करते हैं, हमारे समाज के प्रबुद्ध वर्ग और समाज के ठेकेदारों  अपनी कुंभकरण की नींद त्यागो! "
ओ संसार के लोगों जागो
ईश्वर ने तुम्हें मानवता की रक्षा के लिए अमूल्य रत्नों से सुसज्जित मानव का जन्म देकर इस धराधाम पर मानवता का साम्राज्य स्थापित करने व मानवता की रक्षा करने के लिए भेजा है,तुम अपने कर्तव्य को न भूलो।।
    "मानव  जीवन  नहीं  शाश्वत,
             मन   मूढ़   दूर   संताप   करो ।
     ललकार तुम्हें मानव महि के,
             तुम क्षिति पर और न पाप करो।।
     (निज काव्य ग्रंथ से)
        *---घनश्याम सिंह*
        *वरिष्ठ पत्रकार/ त्रिभाषी सहित्यकार*

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