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किसानों के लिये जरूरी खबर,सरसो,चना आदि फसल बेचने पहले यहाँ चेक कर सरकारी रेट

उत्तर प्रदेश न्यूज21संवाददाता
एक अप्रैल से रबी मार्केटिंग सीजन 2021-22 की खरीद शुरू हो रही है. किसान आंदोलन को देखते हुए कोई भी राज्य सरकार इस मामले में ढिलाई नहीं बरतना चाह रही. इसलिए न सिर्फ खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ाई जा रही है बल्कि कुछ राज्यों ने अपने कोटे में भी इजाफा कर लिया है. इस सीजन में मुख्य तौर पर गेहूं की खरीद होती है. लेकिन इसके साथ सरसों, जौ और चना भी खरीदा जाएगा. फसल बेचने से पहले यह जान लीजिए कि रबी सीजन की किस फसल का कितना दाम है. जिसका दाम मार्केट में अच्छा नहीं है उसे सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बेच दीजिए.
किस फसल का कितना दाम?
केंद्र सरकार ने गेहूं (Wheat) का रेट 1975 रुपये क्विंटल तय किया है.
-जौ (Barley) का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1600 रुपये प्रति क्विंटल है.
-चना (Gram) 5100 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर खरीदा जाएगा.
-मसूर (Masur) की भी एमएसपी 5100 रुपये क्विंटल तय की गई है.
-सरसों 4650 रुपये क्विंटल के रेट पर खरीदी जाएगी. हालांकि मार्केट रेट 5500 रुपये है.
– कुसुंभ (Safflower) का दाम 5327 रुपये क्विंटल तय है.
कहां किस उपज की होगी खरीद
-गेहूं की सरकारी खरीद उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, गुजरात, बिहार, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर और दिल्ली में होगी.
-सरसों की खरीद राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात में होगी. हालांकि, इस बार इसका बाजार भाव एमएसपी से अधिक होने के कारण सरकारी खरीद में कमी हो सकती है.
-जौ की सरकारी खरीद हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में हो सकती है. जौ की खरीद के लिए हरियाणा ने सात मंडियां तय की हैं. 40 से 50 फीसदी जौ अकेले राजस्थान में पैदा होता है. राजस्थान ने 12, 22, 775 मीट्रिक टन सरसों की खरीद का टारगेट रखा है. इसके लिए 1302 केंद्र बनाए गए हैं.
कैसे आएगा खरीद का बुलावा
ज्यादातर राज्यों ने एमएसपी (MSP) पर खरीद के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया अपनाई हुई है. पोर्टल पर पंजीकरण के बाद हर किसान के पास मैसेज भेजा जाएगा, जिसमें खरीद की तारीख और समय होगा. इससे मंडी में भीड़ नहीं लगेगी. हरियाणा सरकार ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पर रजिस्ट्रेशन करवाकर किसानों के मोबाइल पर संदेश भेजती है. कोरोना लॉकडाउन के वक्त साल 2020 में इसी प्रक्रिया से मंडियों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाया गया था.

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