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कुछ रिश्ते ऐसे भी -कु० अल्का



कुछ तो है उसके और मेरे रिश्ते में,
शायद उसमें दूरियां भी बहुत हैं पर,
उससे भी ज्यादा नजदीकियां हैं
हमारे रिश्ते का कोई खास नाम तो नहीं
फिर भी रिश्ता बहुत खूबसूरत है
हम एक दूसरे को खोकर भी खो नहीं पाते
और पा कर भी हासिल कर नहीं सकते
फिर भी दो जिस्म एक जान हैं
इस रिश्ते में लड़ाई झगड़े शक भी बहुत ज्यादा है फिर भी उससे भी ज्यादा प्यार है ,
जिसके बिना हम रह नहीं पाते कुछ तो है
उसके और मेरे रिश्ते में और क्या लिखूं
मैं अपने बारे में जो खुद एक कहानी बनकर के रह गई ,दिल तो कहता है वह मेरा है
पर तकदीर साथ छोड़ देती है कि वह किसी और का है किसी की भी चाहत ज्यादा है उसका क्या हुआ, कल वह मेरा नहीं होगा पर आज तो सब कुछ है
वह मेरा
उसकी तस्वीर आंखों में ही नहीं दिल की हर धड़कन में समाई है
जिस तरह लोग ईश्वर को दिल में बसतें हैं वैसे ही मैंने अपने प्यार को अपने दिल में बसा के रखा हुआ है कुछ तो है उसके और मेरे रिश्ते में शायद उसमें दूरियां भी बहुत है।



लेखका-कु०अल्का(छात्रा)
                         याकूबपुर-औरैया

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