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सामाजिक,शैक्षिक क्रान्ति के अग्रदूत थे ज्योतिबाफुले:शास्त्री

ब्यूरोचीफ:-सौरभ त्यागी जालौन उत्तर प्रदेश न्यूज21
उरई,ऑल आरक्षित टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश द्वारा सामाजिक व शैक्षिक क्रांति के अग्रदूत राष्ट्रनिर्माता,महामना ज्योतिबाराव फुले के जन्मदिवस पर वीडियो कॉलिंग के द्वारा परिचर्चा आयोजित की गई ।
परिचर्चा में सम्मिलित पदाधिकारियों व शिक्षकों ने ज्योतिबा फुले के द्वारा समाज को दिए गए योगदान व उनके जीवन संघर्ष पर चर्चा की व उनके महान योगदान के लिए उन्हें नमन किया।
एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष सुंदर सिंह शास्त्री ने कहा कि महामना फुले का शूद्र समाज को दिया गया योगदान अतुलनीय व अकल्पनीय है उन्होंने देश में व्याप्त जातीय,सामाजिक,धार्मिक कुरीतियों को खत्म करने के लिए अपना सर्वस्व निछावर कर दिया,उन्होंने अपने स्वयं के बच्चे पैदा न कर शोषित,पीड़ित,वंचित समाज को ही अपना परिवार मानने का प्रण लिया उन्होंने एक ओर जहां छुआछूत,ऊंचनीच, जातिप्रथा,सतीप्रथा,विधवा मुंडन प्रथा,बाल विवाह आदि का तीव्र विरोध किया व इन्हें खत्म कराने का हर संभव प्रयास किया वहीं उन्होंने 1848 में लड़कियों व शूद्रों-अतिशूद्रों के लिए प्रथम विद्यालय खोला व अपनी जीवन संगिनी सावित्रीबाई फुले को स्वयं शिक्षित कर प्रथम शिक्षिका बनने का गौरव प्रदान किया इसके साथ ही उन्होंने विधवा पुनर्विवाह शुरू कराए व बाद में अनेक विद्यालय स्थापित किये।।
जिलाध्यक्ष मिस्टर सिंह,उपाध्यक्ष के के शिरोमणि,महामंत्री प्रेमकुमार कुशवाहा,डॉ रुपेश वर्मा,डॉ प्रदीप गौतम आदि ने बताया कि फुले दंपति ने महिलाओं अछूतों में शिक्षा का प्रचार प्रसार करने के साथ ही उनके मान-सम्मान स्वाभिमान को जगाने के लिए व उन्हें संगठित करने के लिए सत्यशोधक समाज नामक संगठन की स्थापना की। उन्होंने किसानों के लिए भी संघर्ष किया उन्होंने पंडित पुरोहित व मौलवी के बिना भी विवाह संस्कार का आयोजन कराया एवं मुंबई हाईकोर्ट से मान्यता भी दिलाई।।
महेंद्रपाल,देवेंद्रकुमार,अनिरुद्धनिरंजन,भगवानसिंह यादव,दीन दयालश्रीवास,विजयरत्न,राकेश कुमार,भूरीदेवी,दीपेंद्रकुमार, बहोरनसिंह,छत्रपालसिंह,श्यामविहारीआदि ने भी परिचर्चा में भाग लेते कहा कि फुले दंपत्ति ने जीवन पर्यंत जातिगत भेदभाव व कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष किया व दलित,पिछड़े व महिलाओं की दुर्दशा के लिए उन्होंने अशिक्षा को जिम्मेदार बताया इसीलिए उन्होंने तत्कालीन सरकार से निशुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार  कानून बनाने व लागू करने की मांग की थी जिसे भारत में लगभग डेढ़ सौ साल बाद लागू किया गया।।

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