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महिला दिवस पर महिलाओं के सम्मान में समर्पित 🌹🌹 *नारी का यशगान* 🌹🌹

🌹🌹 *नारी का यशगान* 🌹🌹  

भाव लिए मन में ममता के,
चलना हमे सिखाती हैं।
घने अंधेरे में हमको, 
आशा का दीप दिखाती हैं।
कुछ भी नहीं बिना नारी के,
ये बात समझनी ही होगी।
          *मिटा के सारे  -भेद-भाव!*
          *समरसता भरनी ही होगी!!*

विश्वास,आस्था, दृढ़ निश्चय,
हैं शक्ति और समृद्धि यही।
घर को स्वर्ग बना देती,
सम्मान में करतीं वृद्धि यही।
हो सकल विश्व उन्नति पथ पर,
तस्वीर बदलनी ही होगी।
           *मिटा  के  सारे   भेद-भाव!*
           *समरसता भरनी ही होगी!!*

ले चांद सितारे आंचल में,
ये द्वार चांद के हो आईं।
मिटा के सारा, दंभ, द्वेष,
ये बीज प्रेम के बो आईं।
जीवन चाहो गर हर्ष पूर्ण,
तकदीर बदलनी ही होगी।
            *मिटा  के  सारे  भेद-भाव*
            *समरसता भरनी ही होगी।*

नित नई सीढियां चढ़ने को,
हर एक कुरीति से द्वंद्व किया।
बैरी समाज को शक्ति दिखा,
अंतर्मन को स्वच्छंद किया।
है समय चलो न राह पूर्वाग्रह की,
ये जंजीर बदलनी ही होगी।
          *मिटा  के  सारे  भेद-भाव,*
          *समरसता भरनी ही होगी।*
          
                       *--उपासना राजपूत--*
                               *औरैया*
                                 *उप्र*

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