फेफड़ों के कैंसर के बचाव के लिए धूम्रपान से दूरी बनाएं, फेफड़ों को स्वस्थ बनाएं -मुख्य चिकित्सा अधीक्षक
फेफड़ों के कैंसर के प्रति जागरूक होना आवश्यक है - डॉ सूर्यकांत त्रिपाठी
इटावा।।बदलती जीवन शैली और प्रदूषण धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर का कारण बन रहा है इसलिए इसके प्रति जागरूकता होना बहुत आवश्यक है यह कहना है जिला अस्पताल मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ एमएम आर्या का। उन्होंने बताया लगातार खांसी आना, सांस फूलना और खांसी के साथ खून आना जैसे लक्षण हो तो तुरंत सीटी स्कैन कराना चाहिए। फेफड़ों के कैंसर के लिए प्रारंभिक स्तर की जांच व सीटी स्कैन की सुविधा जिला अस्पताल के अंदर निशुल्क दी जा रही है जिससे बीमारी के बारे में सही जानकारी प्राप्त हो। डॉ आर्या ने कहा फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए धूम्रपान से दूरी अवश्य बनाएं, और फेफड़े को स्वस्थ बनाएं जिस से फेफड़ों के कैंसर से बचाव हो सके।
जनपद निवासी रेस्पिरेट्री मेडिसन विभागाध्यक्ष केजीएमयू विश्वविद्यालय और इंडियन सोसायटी फॉर स्टडी ऑफ़ कैंसर की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य डॉ सूर्यकांत ने बताया लंग कैंसर के मरीजों की संख्या लगातार देश में बढ़ रही है इस समय लगभग 1लाख लंग कैंसर के मरीज पूरे देश में है जिसमें पुरुषों की संख्या लगभग 70 हजार और महिलाओं की संख्या 30 हजार है। उन्होंने बताया लंग कैंसर का मुख्य कारण विगत वर्षों में बढ़ता हुआ प्रदूषण, कीटनाशक दवाओं का अत्यधिक उपयोग, ध्रुमपान,घरों के चूल्हों से निकलने वाला धुआं या परोक्ष धूम्रपान इसका प्रमुख कारण है। उन्होंने बताया लंग कैंसर मुख्य पांच प्रकार के कैंसर में से एक है फेफड़ों के कैंसर भी है। इसका उपचार 4 तरीके से किया जाता है सर्जरी कीमोथेरेपी रेडियोथैरेपी और इम्यूनोथेरेपी। उन्होंने विस्तार पूर्वक बताते हुए कहा लंग कैंसर के इलाज की समस्या के बारे में 90% रोगी को अंतिम अवस्था में चिकित्सकों के पास पहुंचते हैं जिससे इनका इलाज संभव नहीं हो पाता। डॉ सूर्यकांत ने बताया क्योंकि लंग कैंसर के लक्षण और टीबी के रोग के लक्षण मिलते जुलते हैं अतः कहीं पर प्रारंभिक अवस्था में ऐसे रोगियों को एक्स-रे में धब्बे के आधार पर टीबी का इलाज दे दिया जाता है। उन्होंने बताया लगभग 25 वर्षों के अनुभव अनुसार फेफड़ों के कैंसर की जागरूकता के विषय में कहा हर चमकती चीज सोना नहीं होती वैसे ही एक्स-रे का हर धब्बा टीबी नहीं होता अतः लंग कैंसर की जांच के लिए केवल एक्स-रे पर्याप्त नहीं है। इसकी जांच के लिए सीटी स्कैन ब्रोंकोस्कॉपी बॉयोपसी और हिस्टोपैथोलॉजिकल एग्जामिनेशन कराने की जरूरत पड़ती है।इस तरह की सुविधा केजीएमयू चिकित्सीय विश्वविद्यालय लखनऊ में है वहां पर नौ विशिष्ट तरह की लंग कैंसर क्लीनिक चल रही है यदि कोई मरीज वहां दिखाने जाए तो ऑनलाइन पंजीकरण कराने हेतु के केजीएमयू की वेबसाइट पर उपलब्ध फोन नंबर 0522- 225 8880 पर कॉल करके व www.ors.gov.in पर पंजीकरण करा सकता है।
डॉ सूर्यकांत ने जनपद वासियों से अपने संदेश में कहा लंग कैंसर के प्रति जागरूक होना अति आवश्यक है, साथ ही स्वस्थ जीवनशैली अपनाने का अनुरोध किया और धूम्रपान से दूर रहने का संदेश दिया।
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