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UP पुलिस SI और ASI भर्ती 2016 अभ्यर्थियों को हाई कोर्ट से बड़ा झटका , ' ओ ' लेवल सर्टिफिकेट ही मान्य

उत्तर प्रदेश न्यूज 21/ऑल इंडिया प्रेस एसोशियेशन

लखनऊ।उत्तर प्रदेश पुलिस में सब इंस्पेक्टर (एसआइ) और असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर (एएसआइ) भर्ती में सैकड़ों अभ्यर्थियों को हाई कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने एकल पीठ के एक फैसले को पलटते हुए कहा है कि बीटेक (कंप्यूटर), बीएससी (कंप्यूटर) या बीसीए डिग्रीधारी उस पद के लिए आवेदन नहीं कर सकते, जिसमें 'ओ' लेवल सर्टिफिकेट की अर्हता मांगी गई हो।

कोर्ट ने कहा कि उच्च डिग्रीधारी होने का यह तात्पर्य नहीं है कि अभ्यर्थी के पास 'ओ' लेवल सर्टिफिकेट होना मान लिया जाए

इलाहाबाद हाई कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने एकल पीठ के बीती 26 मार्च के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें बीटेक (कंप्यूटर), बीएससी (कंप्यूटर) या बीसीए डिग्रीधारी कई याचिकाकर्ताओं को 'ओ' लेवल सर्टिफिकेट न होने पर भी पुलिस भर्ती परीक्षा में शामिल कराने का आदेश दिया गया था, जबकि भर्ती के लिए जारी विज्ञापन में डोएक सोसायटी द्वारा जारी 'ओ' लेवल सर्टिफिकेट की मांग की गई थी। यह आदेश जस्टिस रितुराज अवस्थी व जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने राज्य सरकार की ओर से दाखिल कई विशेष अपीलों पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया।26 दिसंबर 2016 को एक विज्ञापन जारी कर सब इंस्पेक्टर व असिस्टेंट सब इस्पेक्टर के करीब पांच सौ पदों के सापेक्ष आवेदन मांगे गए थे, जिसमें डोएक सोसायटी द्वारा जारी 'ओ' लेवल सर्टिफिकेट की अर्हता मांगी गई थी। इसके बाद कुछ अभ्यर्थियों ने याचिकाएं दाखिल कर कहा था कि उन्हें यह कहकर चयन प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया कि उनके पास 'ओ' लेवल सर्टिफिकेट नहीं था। इस पर सुनवाई करते हुए एकल पीठ ने कहा कि जब अभ्यर्थी बीटेक (कंप्यूटर), बीएससी (कंप्यूटर) या बीसीए डिग्रीधारी हैं, तो उन्हें चयन प्रक्रिया में शामिल किया जाए, क्योंकि उनकी डिग्रियां ओ लेवल से बड़ी हैं।राज्य सरकार ने एकल पीठ के फैसले के खिलाफ विशेष अपीलें दाखिल की थीं। सरकारी अधिवक्ता उदयवीर सिंह का तर्क था कि जब नियमों में किसी विशेष सर्टिफिकेट होने की बात कही गई है, तो कोर्ट उसमें संशोधन नहीं कर सकता है। यह भी तर्क दिया गया कि अन्य कोर्ट ने पहले इसी बिंदु पर ऐसी ही याचिकाओं को खारिज कर दिया था, लेकिन एकल पीठ ने न तो उन आदेशों को नजीर माना और न ही मामले के कानूनी पहलू को तय करने के लिए वृहद पीठ को संदर्भित किया। अंत: एकल पीठ का 26 मार्च, 2021 का आदेश ठीक नहीं है।

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