उत्तर प्रदेश न्यूज21
कन्नौज जिले के तालग्राम कस्बे में कोई भी लावारिस शव बिना अंतिम संस्कार के नहीं रहता है। लावारिस शवों को अपनों की तरह कंधा मिलता है। समाजसेवी शेर सिंह कफन से लेकर लकड़ी तक का इंतजाम करते हैं। वाहन की व्यवस्था न होने पर ट्रैक्टर उपलब्ध करवाते हैं। खुद गंगाघाट पहुंचकर पूरी मदद करते हैं।
अंतिम संस्कार के बाद खाने के लिए लइया, चना व गुड़ का इंतजाम भी करवाते हैं। कस्बे के मोहल्ला तालाब कला निवासी शेर सिंह कई दशक से शवों के अंतिम संस्कार में सहयोग कर रहे हैं। शेर सिंह ने बताया कि वह वर्ष 1991 में एक मौत पर श्रृंगीरामपुर में अंतिम संस्कार में शामिल होने गए थे।
अंतिम संस्कार के बाद खाने के लिए लइया, चना व गुड़ का इंतजाम भी करवाते हैं। कस्बे के मोहल्ला तालाब कला निवासी शेर सिंह कई दशक से शवों के अंतिम संस्कार में सहयोग कर रहे हैं। शेर सिंह ने बताया कि वह वर्ष 1991 में एक मौत पर श्रृंगीरामपुर में अंतिम संस्कार में शामिल होने गए थे।
चिता को लगवाने से लेकर जलवाने तक में सहयोग किया
इससे मन को शांति मिली। इसी के बाद इस कार्य को अपना धर्म समझने लगे। कस्बा समेत आसपास के इलाके में किसी की मौत होने पर गंगा घाट जरूर जाते हैं। वाहन की व्यवस्था न होने पर अपना ट्रैक्टर मुफ्त में ले जाते हैं।गरीबों के लिए कफन और लकड़ी अपने पास से खरीद कर देते हैं। शेर सिंह के बड़े भाई भारत सिंह सेना में सूबेदार हैं। तीसरे भाई ब्रजेश सिंह खेतीबाड़ी करते हैं। चौथे भाई दिनेश यादव पूर्व चेयरमैन हैं। शेर सिंह बताते हैं कि वह अब तक 700 से अधिक लोगों के अंतिम संस्कार में सहयोग कर चुके हैं।
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