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टीबी मुक्त भारत बनाने में निजी अस्पताल भी हैं आगे



टीबी मरीज चिह्निीकरण पर मिलती है 500 रुपये प्रोत्साहन राशि
उत्तरप्रदेश न्यूज़ 21कानपुर नगर 22 ‍फरवरी 2021टीबी मुक्त भारत बनाने के लिए सरकारी के साथ प्राइवेट चिकित्सकों की भी मदद ली जा रही है। इसके अलावा क्षय रोगियों को जागरुक करने के लिए टीबी चैंपियन, ट्रीटमेंट सप्पोर्टर के साथ कई सामाजिक संस्थाएं भी काम कर रही है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डा. एपी मिश्रा ने बताया कि क्षय रोगियों  के इलाज और जांच के लिए सरकारी स्तर पर जिला क्षय रोग अस्पताल के अलावा जिला महिला अस्पताल डफ़रिन , जिला पुरुष अस्पताल उर्सला , काशीराम संयुक्त जिला चिकित्सालय, 10 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, समस्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, समेत प्राथमिक नगरीय स्वास्थ्य केंद्र केंद्रों में सुविधा दी गई है। इसके अलावा टीबी के मरीजों के इलाज के लिए 1,235  प्राइवेट  चिकित्सकों को निक्षय पोर्टल पर पंजीकरण कराया गया है। प्राइवेट  चिकित्सकों में डा. एसके कटियार , डॉ राजीव कक्कड़ , डॉ एसके पंत , डॉ चंद्रशेखर , डॉ जेएस चौहान , डॉ के गुरनानी , डॉ गुरदीप सिंह , डॉ जेपी सिंह , डॉ अशोक कुमार , डॉ भारत मल्होत्रा समेत 1225 डाक्टर और नर्सिंग होम सक्रिय रुप से मरीजों का इलाज और दवाएं दे रहे है।

जिला कार्यक्रम समन्वयक राजीव सक्सेना ने बताया कि सरकार की योजना है कि टीबी मरीजों को उनके घर के नजदीक ही इलाज और जांच मुहैया कराई जाए। इसके लिए सरकारी के साथ प्राइवेट चिकित्सकों को भी टीबी मुक्त भारत बनाने के अभियान में शामिल किया गया है। इस अभियान के अंतर्गत टीबी रोगी का चिह्निीकरण करने वाले प्राइवेट डाक्टर को प्रोत्साहन राशि के रुप में प्रति रोगी पांच सौ रुपये दिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि जिले में अब तक लगभग 15 लाख रुपये प्राइवेट डाक्टरों को चिह्नीकरण के लिए वितरित किया जा चुका है। 

जिला पीपीएम समन्वयक सुधीर यादव ने बताया कि टीबी रोगी चाहे वह सरकारी अस्पताल में इलाज कराए या प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराए। अगर उसका निक्षय पोर्टल पर पंजीकरण है तो उसे पांच सौ रुपये की पोषण राशि हर महीने दी जाती है। हालांकि यह राशि दो महीने में एक बार उसके खाते में भेजी जाती है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 में जिले में सबसे ज्यादा डा. एसके कटियार (चेस्ट केयर क्लीनिक ) ने करीब 3500 मरीजों का चिह्नीकरण किया है।

यहां लापरवाही पड़ सकती है भारी

अगर किसी घर में टीबी का एक रोगी है और उसका इलाज नहीं करवाते तो अन्य सदस्य भी चपेट में आ सकते हैं। इसलिए व्यक्ति को दो हफ़्ते से ज्यादा  खांसी है, सांस लेने और बलगम की दिक्कत है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। निजी अस्पताल हो या सरकारी, अब टेस्ट की सुविधा भी नि:शुल्क है।

जिले में टीबी मरीजों की स्थिति

वर्ष 2020 में सरकारी अस्पताल में इलाज लेने वाले मरीज - 6196 
वर्ष 2020 में प्राइवेट अस्पताल में इलाज लेने वाले मरीज - 10063 
वर्ष 2020 में टीबी रोगियों की इलाज में सफलता दर- 80 प्रतिशत

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