*साहित्य के शिखर व महान शिक्षाविद गिरजा किशोर त्रिपाठी "मयंक" की पुण्यतिथि पर विशेष*
■ *आज के दस वर्ष पूर्व 13 मार्च 2010 को अपने जीवन की यात्रा का समापन कर परलोक गमन कर गए थे मयंक जी*
घनश्याम सिंह
समाचार संपादक
👍*जीवन परिचय*- जनपद औरैया के ग्राम पिपरौली
शिव की माटी में 25 जनवरी 1952 को पंडित सूरज प्रसाद तिवारी के घर साहित्य के सूरज के रूप में जन्में महान कवि शिशुपाल सिंह"शिशु" के अत्यंत प्रिय शिष्य रहे

महान शिक्षाविद व महान कवि गिरजा किशोर त्रिपाठी "मयंक" ने अपनी साहित्य साधना का सदा समापन कर आज के ही दिन 13 मार्च 2010 को स्वर्गारोहण किया था,उनकी पुण्य तिथि पर उनके पुत्र वरिष्ठ कवि व सरस्वती आवासीय विद्या मंदिर उरई के प्रधानाचार्य प्रकाश चंद्र त्रिपाठी ने पिता के पग चिन्हों पर चलकर मयंक स्मृति जन हितकारी परिषद द्वारा लोक हित का संकल्प लिया है,
👍 *महान कवि मयंक जी के मुक्तक*-
"फूल के ओंठ पर तूफान नजर आता है,
जिस तरफ देखिए वीरान नजर आता है।
क्या करूं क्या कंहूँ दर्द किससे इस दिल का,
वेश इंसान का शैतान नजर आता है।।(महकते फूल)
तन क्या है,मिट्टी के मृदुल कणों का क्षणिक ढेर,
जीवन क्या है प्रियवर एक सांस के हेर फेर।
जब तन और जीवन की यह है परिभाषा,
किसलिए कहूँ मैं व्यर्थ किसे कटु भाषा।।(मन वे न रहे)
मत सोचो कष्ट अनंत हुआ करता है,
विपदाओं का भी अंत हुआ करता है।
सुख ही दुख का उत्तराधिकारी होगा,
पतझड़ के बाद बसंत हुआ करता है।।(हम वे न रहे)
👍 *"मयंक जी" की लोकप्रिय साहित्यक कृतियाँ*- धरती के गीत,महकते फूल, मन वे न रहे,हम वे न रहे,परिवर्तन,भूला राही आदि प्रमुख
हैं, महान कवि मयंक जी ने हिंदी के उत्थान के लिए "हिंदी साहित्य एवं जनहितकारी परिषद, सामाजिक सद्भाव के लिए सद्भावना विकास मंच,शिशु स्मारक समिति,प्रतिभा शाली छात्र प्रोत्साहन समिति की स्थापना की,
"मयंक" जी ने अपने जीवन काल में प्रदेश के बड़े -बड़े साहित्यिक मंचों में अपनी सफल प्रस्तुति दी जिससे उनकी पहचान व मान बढ़ा, समाज सेवा व साहित्यिक उपलब्धियों के चलते उन्हें कई बार सम्मानित किया गया,ऐसे महान पुरोधा को उनकी पुण्य तिथि पर सहस्त्र नमन।।
1-फ़ाइल फ़ोटो महा कवि "मयंक" जी
2-एक समारोह में हीरालाल इंटर कालेज छिबरामऊ के प्रधानाचार्य जितेंद्र यादव द्वारा सम्मानित होते मयंक जी

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